Saturday, May 14, 2011




सपनों की  पतंग 

आओ बच्चों तुम्हें सिखाएं
हम ऐसी एक पतंग बनाएं
सपनों का कागज हो जिसमें
अरमानों की डोर लगाएं 
देख हवा का रूख चुपके से 
बैठ पतंग पर खुद उड़ जाएं

आसमान पर उत्तर में है
चमकीला मनमोहक ध्रुव तारा
वहीं चांद  पे बैठी नानी 
देख रही होगी जग सारा ।

हम मामा के स्रंग बादल पर
आसमान की सैर करेंगें
मालपुए जो मामी देगीं
उनसे अपना पेट भरेंगें ।

नानी का चरखा कातेंगें
और सुनेंगें खूब कहानी
याद नहीं क्या आती सबकी
पूछेंगें , बतलाओ नानी ?

बिजली की शक्ति जानेंगें
बादल में पानी खोजेंगें
चंदा मामा से शीतलता
नानी से  हम तकली लेंगें ।

अरमानों की डोर में सबको
बांध धरा पर ले आएंगें
मामा-मामी , नानी सबकी
बात सभी को बतलाएंगें ।

जो भी बच्चा जब भी चाहे
अरमानों की डोर सजाए
सपनों की एक पतंग बना कर
आसमान में झट उड़ जाए ।

7 comments:

  1. बहुत खूबसूरत सपनों कि पतंग

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  2. खूबसूरत बाल रचना

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  3. मन को छू लेने वाली

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  4. वाह...वाह...वाह...

    मनमोहक,क्या सुन्दर बालकविता रची है आपने...

    बहुत बहुत सुन्दर...

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