पल और कल
आग लगा दो तन के उपर
तन का क्या है जल जाएगा
लेकिन दिल का दर्द तो दिल के
भीतर दिल में रह जाएगा !
कसम दिला दो सिर की अपनी
ओंठ के उपर ताला जड दो
लेकिन फिर भी आंख का पानी
जो कहना है कह जाएगा !
चुनवा दो कितनी दीवारें
हाथ-पांव में बेडी जड दो
लेकिन सच्चे दिल का फिर भी
ताजमहल न ढह पाएगा !
आज मिला जो मानव जीवन
बेशकीमती , बात मान लो
लम्हा-लम्हा जी लो पल का
आज गया न कल आएगा !
लेकिन फिर भी आँख का पानी
ReplyDeleteजो कहना है कह जायेगा .....बहुत सुन्दर प्रस्तुति
... bahut sundar ... prasanshaneey rachanaa !!!
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया
ReplyDeleteकसम दिला दो सिर कि अपनी .............सुंदर रचना बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव्…………दूसरा और चौथा पैरा बहुत पसन्द आया।
ReplyDeleteएक एक पंक्ति पर मन बिछता गया और दाद लूटता गया....
ReplyDeleteमन आह्लादित हो गया इतनी सुन्दर रचना को पढ़कर....
सुन्दर भाव,बेजोड़ प्रवाह और अनुकूल शब्द चयन...
मुग्धकारी अतिसुन्दर रचना... वाह !!!
बहुत सुन्दर!
ReplyDeleteलेकिन फ़िर भी आंख का पानी
ReplyDeleteजो कहना है कह जाएगा...
बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार.
सादर
डोरोथी.
एक- एक लफ्ज मैं जीवन के अनुभूत सत्य उद्घाटित हुए हैं ....सुंदर पोस्ट
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
चलते -चलते पर आपका स्वागत है
bahut sundar geet... man geet.. man gungunane laga...
ReplyDeletebahut sundar geet badhai anitaji
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