Tuesday, July 27, 2010

मेरी माँ

    मेरी माँ

छोटा सा एक नन्हा बच्चा
        छत पर बैठा सोच रहा था
काश कहीं जो मैं उड़ पाऊँ
        या फिर ऐसी पतंग बनाऊँ
आसमान से तुझको लाने
        बैठ पतंग पर मैं उड़ जाऊँ ।

सब कहते हैं तुम ऊपर हो
        इंद्रधनुष में या बादल में ?
चंदा के घर या तारों में ?
        बोलो तुमको कैसें पाऊँ ?

मुझको नीचे छोड़ गईं क्यों ?
        तुम चंदा के ठौर गईं क्यों ?
याद नहीं क्या आती मेरी ?
        आँखें नम न होती तेरीं ?

या तू मुझको साथ में लाती
        मुझको धरती जरा न भाती
तेरी चिट्टी न कोई पाती
        तू क्यों ऐसे मुझे रूलाती ?

आज पतंग पर मैं आऊँगा
       अगर वहाँ तुझको पाऊँगा
सच कहता हूँ मेरी माँ मैं
       बाँध पतंग में ले लाऊँगा ।

मैं तेरा नन्हा सा बेटा
      आज यहाँ पर गुम-सुम बैठा
सोच रहा एक पतंग बनाऊँ
      आसमान पर मैं उड़ जाऊँ
और अगर तुझको पा जाऊँ
      तुझे धरा पर वापस लाऊँ ।


The Girl with the Dragon Tattoo