सपनों की पतंग
आओ बच्चों तुम्हें सिखाएं
हम ऐसी एक पतंग बनाएं
सपनों का कागज हो जिसमें
अरमानों की डोर लगाएं
देख हवा का रूख चुपके से
बैठ पतंग पर खुद उड़ जाएं
आसमान पर उत्तर में है
चमकीला मनमोहक ध्रुव तारा
वहीं चांद पे बैठी नानी
देख रही होगी जग सारा ।
हम मामा के स्रंग बादल पर
आसमान की सैर करेंगें
मालपुए जो मामी देगीं
उनसे अपना पेट भरेंगें ।
नानी का चरखा कातेंगें
और सुनेंगें खूब कहानी
याद नहीं क्या आती सबकी
पूछेंगें , बतलाओ नानी ?
बिजली की शक्ति जानेंगें
बादल में पानी खोजेंगें
चंदा मामा से शीतलता
नानी से हम तकली लेंगें ।
अरमानों की डोर में सबको
बांध धरा पर ले आएंगें
मामा-मामी , नानी सबकी
बात सभी को बतलाएंगें ।
जो भी बच्चा जब भी चाहे
अरमानों की डोर सजाए
सपनों की एक पतंग बना कर
आसमान में झट उड़ जाए ।
बहुत खूबसूरत सपनों कि पतंग
ReplyDeleteखूबसूरत बाल रचना
ReplyDeleteजीवन शक्ति से भरपूर .....
ReplyDeleteमन को छू लेने वाली
ReplyDeleteवाह...वाह...वाह...
ReplyDeleteमनमोहक,क्या सुन्दर बालकविता रची है आपने...
बहुत बहुत सुन्दर...
manmohak balkavita....
ReplyDeleteawesome mam
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