आओ भुला दें गुजरी बातें , गुजरे लम्हे , गुजरे पल
तेज हवा में चिंदी-चिंदी हो कर उड़ गये गुजरे कल
लम्हा-लम्हा जी लो जीवन , समय पलट न आएगा
सुबह उगा जो तपता सूरज , शाम हुए जाता है ढल !
पी लो अपनी आँख का आँसू , मोती बन कर टपकेगा
अगर जो छलका ,वहां फलक पर इन्द्रधनुष बन चमकेगा
कभी दुखों के बादल छायें , घबरा कर न रुक जाना
सुख का चंदा गहन रात में आसमान पर दमकेगा !