बारिश की सुबह
बारिश की एक सुबह सुहानी
इंद्रधनुष बैठा सुस्ताते
सोच रहा था आँख मूंद कर
सूरज दादा क्यों नहीं आते ?
सूरज दादा जब आएँगें
तब ही तो मैं गाऊँगा
झूम उठेंगे नन्हें बच्चे
जब मैं नभ पर छाऊँगा ।
बादल की चादर को ताने
सूरज दादा थे अलसाए
सोच रहे थे इस मौसम में
क्यों न छुट्टी आज मनाएँ ।
तभी हवा के झौंके आए
बादल इधर-उधर छितराए
सूरज दादा फैंक के चादर
ले अंगड़ाई बाहर आए ।
बाहर आकर आसमान को
देख के हौले से मुस्काए
इंद्रधनुष भी लगा चमकने
सारे बच्चे खुश हो आए
झट ले अपनी पतंग और चरखी
आसमान को रंगने आए ।
बहुत सुन्दर बाल कविता ...आज तो दिली का मौसम भी कुछ ऐसा ही हो रहा है ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर बाल गीत।
ReplyDeletesundar rachana.
ReplyDeletepanchayatkimuskan.blogspot.com