Saturday, May 21, 2011




बारिश की सुबह 



बारिश की एक सुबह सुहानी
इंद्रधनुष बैठा सुस्ताते
सोच रहा था आँख मूंद कर
सूरज दादा क्यों नहीं आते ?

सूरज दादा जब आएँगें 
तब ही तो मैं गाऊँगा
झूम उठेंगे नन्हें बच्चे
जब मैं नभ पर छाऊँगा ।

बादल की चादर को ताने
सूरज दादा थे अलसाए
सोच रहे थे इस मौसम में
क्यों न छुट्टी आज मनाएँ ।

तभी हवा के झौंके आए
बादल इधर-उधर छितराए
सूरज दादा फैंक के चादर
ले अंगड़ाई बाहर आए ।

बाहर आकर आसमान को
देख के हौले से मुस्काए
इंद्रधनुष भी लगा चमकने
सारे बच्चे खुश हो आए   
झट ले अपनी पतंग और चरखी
आसमान को रंगने आए ।

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर बाल कविता ...आज तो दिली का मौसम भी कुछ ऐसा ही हो रहा है ..

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  2. बहुत सुंदर बाल गीत।

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  3. sundar rachana.

    panchayatkimuskan.blogspot.com

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