Saturday, November 27, 2010


  याद की खिड.की

कुदरत ने
मेरी इस जिंदगी में
तुम्हारी याद की
एक खिड.की बना दी
और बना दीं  सैंकडों पगडंडियाँ
कितने भी रास्ते बदलूँ
हर रास्ता,
तुम तक जा पहुँचता है!

Wednesday, November 24, 2010

पल और कल

   
  पल और कल

आग लगा दो तन के उपर 
तन का क्या है जल जाएगा
लेकिन दिल का दर्द तो दिल के 
भीतर दिल में रह जाएगा !

कसम दिला दो सिर की अपनी
ओंठ के उपर ताला जड दो
लेकिन फिर भी आंख का पानी 
जो कहना है कह जाएगा !

चुनवा दो कितनी दीवारें
हाथ-पांव में बेडी जड दो
लेकिन सच्चे दिल का फिर भी
ताजमहल न ढह पाएगा !

आज मिला जो मानव जीवन
बेशकीमती , बात मान लो
लम्हा-लम्हा जी लो पल का
आज गया न कल आएगा !

Sunday, November 7, 2010

रिश्तों की परिभाषा

            
 रिश्तों की परिभाषा

रिश्तों की सच्ची परिभाषा , हम तब जीवन में लाते
पैदा होते ही मिल जाते , जब ढेरों रिश्ते-नाते

रिश्ते होते सुख के - दुख के ,पीर बॉंटते - पीर मानते
एक सुनी आवाज कहीं तो ,छोड़ हाथ का काम भागते

जात न होती ,पांत न होती , छोटे -बड़े का भेद न होता
न को ऊँचा ,न कोई नीचा , कहीं क्षमा कहीं खेद न होता 

कोई रोक न होती टोक न होती ,दिल ही कहता दिल ही सुनता
न कोई लम्हा दुख का होता , न मिलना और बिछड़ना होता

ऐसे पल जब हमको मिलते , तब ही सच्चा जीवन होता
न सुख तेरा न दुख मेरा , न बंधन इसका-उसका होता 

रिश्तों की इस परिभाषा को  , हम तब ही खुद में पाते
जब हम रिश्तों में और रिश्ते , हम में आकर बॅंध जाते