Wednesday, November 24, 2010

पल और कल

   
  पल और कल

आग लगा दो तन के उपर 
तन का क्या है जल जाएगा
लेकिन दिल का दर्द तो दिल के 
भीतर दिल में रह जाएगा !

कसम दिला दो सिर की अपनी
ओंठ के उपर ताला जड दो
लेकिन फिर भी आंख का पानी 
जो कहना है कह जाएगा !

चुनवा दो कितनी दीवारें
हाथ-पांव में बेडी जड दो
लेकिन सच्चे दिल का फिर भी
ताजमहल न ढह पाएगा !

आज मिला जो मानव जीवन
बेशकीमती , बात मान लो
लम्हा-लम्हा जी लो पल का
आज गया न कल आएगा !

11 comments:

  1. लेकिन फिर भी आँख का पानी
    जो कहना है कह जायेगा .....बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  2. ... bahut sundar ... prasanshaneey rachanaa !!!

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  3. बहुत-बहुत शुक्रिया

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  4. कसम दिला दो सिर कि अपनी .............सुंदर रचना बधाई

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  5. बहुत सुन्दर भाव्…………दूसरा और चौथा पैरा बहुत पसन्द आया।

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  6. एक एक पंक्ति पर मन बिछता गया और दाद लूटता गया....

    मन आह्लादित हो गया इतनी सुन्दर रचना को पढ़कर....

    सुन्दर भाव,बेजोड़ प्रवाह और अनुकूल शब्द चयन...

    मुग्धकारी अतिसुन्दर रचना... वाह !!!

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  7. लेकिन फ़िर भी आंख का पानी
    जो कहना है कह जाएगा...

    बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर
    डोरोथी.

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  8. एक- एक लफ्ज मैं जीवन के अनुभूत सत्य उद्घाटित हुए हैं ....सुंदर पोस्ट
    हार्दिक शुभकामनायें
    चलते -चलते पर आपका स्वागत है

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