अनंत आकाश में उड़ते हुए स्वछंद पंछियों के झुंड में शामिल एक नया पंछी .....जो अनुभूति रखता है इंसानियत के ,मानवता के मूल्यों की ,जो न सिर्फ कागज पर उतारता है ......अपने और दूसरों के भावों को ,दर्दों को बल्कि रंगों की दुनिया में ले जाता है उन भावनाओं को और चित्रित भी करता है !
नमस्कार .. आपकी कविताएँ दिल की गहराई से निकली अभिव्यक्ति है. सब एक से बढकर एक. नव वर्ष पर शुभकामना कि आपकी अभिव्यक्ति का रचना संसार हमें और देखने और पढने को मिले.
कोमल और भावुक कर देने वाली रचना..
ReplyDeleteMeree aankh bhar aayee...
ReplyDeletedil ko choo gai . Kyun meri maa chali gai
Deleteमाँ कहीं नहीं गई ....
Deleteजिस पल आपने उसे याद किया वो आपके पास , आपके साथ ही थी
नमस्कार .. आपकी कविताएँ दिल की गहराई से निकली अभिव्यक्ति है. सब एक से बढकर एक. नव वर्ष पर शुभकामना कि आपकी अभिव्यक्ति का रचना संसार हमें और देखने और पढने को मिले.
ReplyDeleteमाँ और ओम ...दोनों शब्द मुझे एक जैसे लगते हैं...दोनों मंत्र जो हैं...
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