Wednesday, February 29, 2012

आओ भुला दें




  आओ भुला दें गुजरी बातें , गुजरे लम्हे , गुजरे पल 
 तेज हवा में चिंदी-चिंदी हो कर उड़ गये गुजरे कल 
 लम्हा-लम्हा जी लो जीवन , समय पलट न आएगा 
 सुबह उगा जो तपता सूरज , शाम हुए जाता है ढल !

 पी लो अपनी आँख का आँसू , मोती बन कर टपकेगा 
 अगर जो छलका ,वहां फलक पर इन्द्रधनुष बन चमकेगा 
 कभी दुखों के बादल छायें , घबरा कर न रुक जाना 
 सुख का चंदा गहन रात में आसमान पर दमकेगा !