मेरे हाथों में फैली हैं
रेखों की
सैकडों
पगडन्डियाँ
दौड़ता है जिनमे भविष्य
रेंगते हैं सपने
मै स्वयं भटकी हूँ
उन रास्तों पर
जिन पर चल कर
कोई आया था.
KAAM KI ABHIVYAKTI HAI YEH ... SACHMUCH HAATH KI RAKHAAON PAR JEEVAN EK PAGDANDI HAI ..
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